उभरती मंदी: Myths vs. Reality – क्या India आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रहे हैं?

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unemployment rate in india

भारत में चल क्या रहा है। क्या उभरती मंदी सच है या झूट? भारत की सरकार इस देश की उभरती मंदी को संभलने के लिए आख़िर क्या कर रही है? ये सारे सवालों के जवाब आपको इस आर्टिकल द्वारा मिलेंगे आइये जानते है Recession Myths and Reality in India.

भारत ने जिस तरह से covid 19 के समय अपने आप को और उसमे रहने वाले लोगों को सम्भाला है उसकी प्रशंशा सभी कर रहे है बल्कि पूरी दुनिया कर रही है। पर आज का सवाल क्या है ये जानना बहुत ज़रूरी है। दुनिया में अलग – अलग देशों के बीच में लड़ाइयाँ हो रही है। जैसे Ukraine और Russia जिसकी वजह से चीज़ों में बढ़ती महंगाई देखने को मिली है। इसका सामना भारत को भी करना पड़ा है। इसकी वजह से भारत में भी चीज़ महँगी हो गई है और मुद्रा स्फ़ीति भी बढ़ रहा है।

Recession Myths and Reality in India

भारत में मंदी तेज़ी से बढ़ रही है इसका सबूत ख़ुद हमारे आस – पास के लोग और उनके business है। तो ये कहना झूट नहीं होगा कि भारत में मंदी नहीं बढ़ रही क्योकि सारे संकेत हम सबको साफ़ दर्शाते है की भारत का आने का वाला क्या है या क्या हो सकता है।

भारत में मंदी के संकेत ( Signs of Recession in India )

2024 भारत का एक मुश्किल साल हो सकता है। मंदी भारत में तेज़ी से बढ़ रहा है और ये अच्छा संकेत नहीं है लोगों के लिए। मंदी के कुछ संकेतों को हम लोग गहराई में इस आर्टिकल द्वारा समझेंगे।

Recession का मतलब है जब GDP का रेट कम होने लगे और सेल्स धीरे – धीरे कम होने लगे। इसका मुख्य कारण है मंदी।

Global Economic Slowdown – भारत की पूरी इकॉनमी ही उसकी ग्रोथ पर टिकी है और ज़रा सी ऊंच – नीच ग्रोथ रात में हुई तो ऐसा मानना है कि हमारी इकॉनमी भी बहुत धीरे हो जाएगी और लोगो के पास भी पैसे कम होंगे खर्च करने को जिसकी वजह से GDP कम होता जाएगा और भारत मंदी का सामना करेगा |

Rising inflation – इन्फ्लेशन या मुद्रा स्फ़ीति एक मुख्य कारण है मंदी का। अगर ये बहुत तेज़ी से बढ़ा तो लोगो की कमाई कम हो जायेंगी और इकोनॉमिक ग्रोथ भी कम होगी जिसकी वजह से पूरा भारत पीड़ित होगा और काफ़ी पीछे हो जाएगा।

Fiscal deficit – भारत का एक मुख्य चिंतादनक बात ये भी है कि उसका deficit दिन पर दिन बढ़ रहा है जिसे भारत शायद भुगतान चुका ना पाए और Investors का कॉन्फिडेंस भारत पर से कम हो जाये जिससे लोग खर्च करना और इन्वेस्ट करना बंद या कम कर देंगे।

Increasing rate of unemployment – मंदी के दौरान, व्यापार अक्सर अपने कर्मचारियों की संख्या में कमी करते हैं, जिससे बेरोजगारी दरें बढ़ जाती हैं। इस बेरोजगारी का वृद्धि का दृष्टिकोण आर्थिक कमजोरी का संकेत हो सकता है।

Unemployment rate in India

Falling of industrial production – औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आर्थिक गतिविधि में कमी का संकेत दे सकती है। यह गिरावट नौकरी की दरों में कमी और उपभोक्ता खर्च में भी कमी का कारण बन सकती है।

Decrease in retail sales – भारत की नींव और मज़बूती रिटेल sales से और अगर वो गिर जाएगी या ख़त्म होने लगेगी तो लोगो का कॉन्फिडेंस खर्च करने के प्रति बहुत घट जाएगा जिसकी वजह से पूरा भारत धीरे हो जाएगा।

Consumer spending – जब लोग कम खर्च करते हैं, तो यह आर्थिक विकास को धीमा कर सकता है, जो शायद एक मंदी की आगाही हो सकता है। अगर वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री में कमी होती है, तो यह आर्थिक कमजोरी की निशानी हो सकती है।

Interest rates – भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक विस्तार को प्रोत्साहित करने के लिए ब्याज दरों को समायोजित करने की अधिकार होती है। अगर ब्याज दरें उच्च हों या यदि आरबीआई को ब्याज दरों को तेजी से बढ़ाना पड़ता है।

कोई भी एक साइन या इंडिकेटर से भारत के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता इस लिए पूरी तरीक़े से जानना बहुत ज़रूरी है और सारे चीज़ों को देखना वह समझना और एक्सामिन करना की ऐसा सच में है या नहीं।

India’s Economic Condition 2024

मिड-2024 के लिए जारी विश्व आर्थिक स्थिति और परिदृश्य रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को, भारत की अर्थव्यवस्था का विकास 2024 में 6.9% और 2025 में 6.6% होने की पूर्वानुमान किया गया है। इस वृद्धि का मुख्य कारण बढ़ी हुई सरकारी खर्च और स्थिर उपभोक्ता खर्च होगा। हालांकि, निर्यात को कमजोर वैश्विक मांग का असर हो सकता है, फार्मास्यूटिकल और रासायनिक क्षेत्रों की मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद है।

मंदी के दौर में आपको क्या करना चाहिए? ( What should you do During a Recession phase? )

● केवल अपने महत्वपूर्ण व्यय पर प्राथमिकता दें।
● किसी भी अनावश्यक व्यय को कम करना आवश्यक है।
● अपनी आय बढ़ाने और अधिक बेहतर तरीकों की खोज करने के लिए और अधिक बचत कैसे करें की खोज करें।
● आपातकालीन जरूरतों और संकट के लिए आपातकालीन निधि बनाएं।
● सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक रहें और ऐसे योजनाओं का लाभ उठाएं।
● अपने निवेशों की पुनरावलोकन करें।
● बड़े निवेश से पहले पेशेवर सहायता की मांग करें।
● अपनी नई कौशलों के अनुसार अधिक आय के स्रोत खोजें और बनाएं।

FAQs

Q: क्या आर्थिक मंदी 2024 में आ सकती है?

Ans: सारे डेटा को देखते हुए और सारे एक्सपर्ट्स के नतीजों को समझते हुए ये कहा जा सकता है कि भारत आर्थिक मंदी का सामना 2024 में सामना नहीं करेगा। ये साल भारत का कदम ग्रोथ की तरफ़ पहला कदम होगा और इससे देश और बाक़ी सभी लोगो को फ़ायदा होगा।

Q: क्या आज के हालात को देखते हुए 2025 में भारत को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है?

Ans: इकोनॉमिस्ट्स ने वार्निंग दी है कि 2025 आसन्न बाज़ार को आर्थिक मंदी की चेतावनी दी है। पर अगर सब कुछ सही रहा तो किसी नए कर कटौती की अपेक्षा नहीं होने के कारण, राजस्व की वृद्धि का अनुमान 6.2 % है। इसी बीच, संघीय खर्च की वृद्धि की कमी की अपेक्षा है आगामी दो वर्षों में: 2023 में 4.9 % से 2024 में 3.8 % और फिर 2025 में 3.9 %।

Q: क्या बड़ी आर्थिक मंदी भारत की ओर बढ़ रही है?

Ans: भारत ने अपेक्षाओं से अधिक वृद्धि दरें प्राप्त की है और वैश्विक रूप से सबसे तेजी से बढ़ने वाली महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था के रूप में मान्यता प्राप्त की है, इसलिए मंदी के संबंध में चिंताएँ अत्यल्प हैं।

Q: भारत का भविष्य आने वाले सालो में क्या है?

Ans: आने वाले वर्षों में, भारत का अनुमान है कि वह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा, जापान को पीछे छोड़ते हुए। अगर चीन अमेरिका से तेजी से नहीं बढ़ता, तो भारत 2050 तक दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

Q: आर्थिक मंदी में फ़ायदा किसका होता है?

Ans: जब बहुत देर तक महंगाई रहती है, तो अक्सर मंदी आती है। मंदी के दौरान, कीमतें अचानक गिर जाती हैं, जिससे पहले की उच्च मूल्यों को संतुलित किया जा सकता है। इससे ऐसे व्यक्तियों के लिए फायदेमंद होता है जो फिक्स्ड आय पर होते हैं, क्योंकि वे घर जैसी वस्तुओं को कम कीमत पर खरीद सकते हैं।

Conclusion

ऊपर के आर्टिकल को पढ़ कर ये कहना ग़लत नहीं होगा कि ऐसा लगता है कि भारत अभी मंदी की दिशा में नहीं जा रहा है, अन्य देशों की अर्थव्यवस्था के मुकाबले इसके आंकड़ों से यही पता चलता है। लेकिन यह समझना बुद्धिमानी होगी कि अगर स्थितियाँ कठिन हों तो समस्याएं आने से पहले ही व्यक्तिगत वित्तीय समस्याओं के लिए योजना बनानी चाहिए।

यह आर्टिकल अवश्य पढ़े : Businessman और Professional Employee की अनोखी कहानी

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