क्या आप भी अपने आप को एक सक्सेसफुल व्यक्ति की तरह देखना चाहते है? क्या आप भी चाहते है पूरी दुनिया आपको भी स्टीव जॉब्स की तरह आपके बेहतरीन काम से जाने? तो आइए पहले जानते है मशहूर व्यक्ति स्टीव जॉब्स के जीवन के बारे में। आप भी उनसे बहुत कुछ सीख सकते है और उनके उद्देश्य और कढ़ी मेहनत की सीख आप ले कर ख़ुद का नाम भी रौशन कर पायेंगे।
स्टीव जॉब्स: एक वीज़नरी की कहानी
हम सब इस बात से अच्छी तरीक़े से परिचित है की स्टीव जॉब्स ने अपना नाम कंप्यूटर को डिज़ाइन कर के वह सॉफ्टवेर डेवलोप कर के कमाया है। वो apple कंप्यूटर्स के को-फाउंडर है और काफ़ी लोगों के रोल मॉडल भी।
अपने कॉलेज से ब्रेक लेने पर उन्होंने भारत घूमा और उससे उनकी आस्था पर नया प्रभाव आया। वो आस्थिक हो गये। वो जीवन में सिंपल साधारण तरीक़े से जीने लगे और उससे उनको मोटिवेशन वह ख़ुशी मिलती थी। उनका कहना है कि उनके जीवन का सिंपल मंत्र है- “फोकस और सिम्लिसिटी” (focus and simplicity)
स्टीव जॉब्स का बचपन
स्टीव जॉब्स सन् फ़्रांसिस्को में पैदा हुए थे और एक अच्छी सी फ़ैमिली ने उनको गॉड ले लिया था। उनका इंटरेस्ट कंप्यूटर और सॉफ्टवेर में बचपन से ही था। वो शुरू से इंस्पायर्ड थे अपने पिता के मशीनिस्ट जॉब और इलेक्ट्रॉनिक के प्यार को ले कर। इससे उन पर भी बहुत प्रभाव आया।
जब स्टीव दसवी में पहुँचे तो वो अपने फ्यूचर पार्टनर स्टीव वॉझ्नियाक से मिले। दोनों ने मिल कर अपने इलेक्ट्रॉनिक के प्यार को एक दूसरे से शेयर करा। मिल कर मशीन की दुनिया में आगे बढ़ने के बारे में तैयारी चालू कर दिया।
Apple की शुरुआत
स्टीव जॉब्स अपने इरादों को ले कर बहुत पक्के थे और शुरू से जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते थे। 21 साल की उम्र से ही उन्होंने अपने गराज में apple पर काम करना चालू कर दिया था। शुरुआत से ही अपने काम के प्रति फोकस रहना ही स्टीव जॉब्स की सफलता का राज है। उनके दोस्त वॉझ्नियाक और स्टीव ने मिल कर Apple कंप्यूटर्स को चालू करा था।
अपना बिज़नेस चालू करने के लिए दोनों ने अपनी ज़रूरी चीज़ें बेच दी थी। स्टीव ने अपनी वॉक्सवैगन बस बेच दी थी और वॉझ्नियाक ने साइंटिफिक कैलकुलेटर। बढ़ते व्यवसाय के साथ स्टीव और वॉझ्नियाक ने मिल कर छोटे और सस्ते कंप्यूटर्स $666.66 में एक बेचा था।
जल्द ही दोनों दोस्तों ने Apple 2 निकाला और वो पहले से 700% अधिक तेज़ी से बिकी और लोगों से लोकप्रिय हो गया। 1980 तक apple की नेट वैल्यू $1.2 बिलियन हो गई थी।
Apple रेसिग्नेशन एंड जनरेशन ऑफ़ पिक्सर
बहुत सक्सेस के बाद भी ये दिन बहुत समय तक नहीं टिके स्टीव जॉब्स के। उनकी ये सक्सेस कुछ ही दिन की थी। Apple का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी IBM था और वो apple को पीछे छोड़ रहा था जिससे दिन पर दिन उसकी डिमांड कम हो रही थी।
1958 तक स्टीव ने ऐपल से रिजाइन कर दिया था और अपने इंटरेस्ट का कम करने चले गये थे। उन्होंने अपनी सॉफ्टवेर वह हार्डवेयर काँपनी स्टार्ट करी जिसका नाम रखा उन्होंने NeXT Incऔर फिर उन्होंने अपना इन्वेस्टमेंट Pixar studios में करा।
स्टीव की मेहनत और लगन से Pixar जल्द ही सक्सेसफुल हो गया। उसकी सबसे बड़ी सफलता 4 साल में ऊंचाइयों तक पहुंच गई। उन्होंने अपने व्यवहार से अपनी टीम के सदस्यों में बहुत वफादारी हासिल की। उनका ऐसा कहना है- “You need a lot more than vision – you need a stubbornness, tenacity, belief and patience to stay the course,”
Apple में उनको वापसी
वहाँ जहां pixar उचाइयों के अलग मुक़ाम पर पहुँच चुका था उसी जगह NeXT अमेरिका अपनी जगह ही नहीं बना पा रहा था। apple ने NeXT को ख़रीद लिया और स्टीव फिर से ऐपल की सक्सेस में शामिल हो गये। वो फिर से सीईओ बन गये।
स्टीव की सालाना सैलरी $1 थी और उन्होंने ऐपल के बहुत से शेयर भी ख़रीद रखे थे। स्टीव ने ऐपल को बदल दिया और उन्होंने बहुत से नये प्रॉडक्ट्स बनाने वह लॉंच करने में ऐपल को मदद करी। ipod, iphone, itune, ipad. ये सारे प्रॉडक्ट्स भी लोगों में बहुत पॉपुलर हो गये।
जब स्टीव से पूछा गया कि उन्होंने ipad और ipod क्या सोच कर दुनिया में निकाला। कौन से कंज्यूमर थे जिन्होंने उनको ये आईडिया दिया। तो उनका न्यूयार्क टाइम्स द्वारा ऐसा कहना था की “कोई नहीं, कंज्यूमर्स का काम नहीं होता कि वो बताये कि उन्हें क्या चाहिए।”
Conclusion
अपने ऊपर जानी स्टीव जॉब्स की पूरी कहानी। और उन्होंने कैसे अपनी ज़िंदगी में चुनौतियों के बाद भी उम्मीद नहीं हारी और कड़ी मेहनत जीवन भर करी। स्टीव का निधन 56 साल की उम्र में, 5 अक्तूबर 2011 में Palo Alto, California में हुआ।
शुरू से स्टीव का एक तकियाकलम था “ I want to put a ding in the universe” कंप्यूटर को लोगों के जीवन में नये तरीक़े से लाना। स्मार्ट फ़ोन से सबको जागरूक करना और सॉफ्टवेर और हार्डवेयर कंपनी में इतना गहरा रोल प्ले करा उन्होंने। उन्होंने टेक्नोलॉजी को बहुत पॉपुलर और नया बनाया लोगों में। ये कहना ग़लत नहीं होगा कि स्टीव ने “Ding” से भी ज्यादा काम किया।
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