किसी भी कंपनी या संगठन को चलाने के लिए पूंजी की जरुरत होती है। पैसे के अभाव में कोई भी संस्था नहीं चल सकती। पैसा बनाने के पिछे की मैकेनिज्म को समझने के लिए कॉरपोरेट फाइनेंस को समझना बहुत जरूरी है।
आज के इस दौर में कॉरपोरेट फाइनेंस (scope of corporate finance) के दायरे को समझना बहुत जरूरी है। पूंजी को कमाने के लिए पूंजी के पीछे की गणित को समझना जरुरी है। इसलिए आज हम कार्पोरेट फाइनेंस (importance of corporate finance) के सभी पहलुओं को समझेंगे।
क्या है कॉरपोरेट फाइनेंस?
कार्पोरेट वित्त का संबंध किसी कंपनी के पूँजी के जरूरतों से है। इसके साथ ही संसाधनों के विकास, accretion और उसके नियत्रंण को समझना भी कार्पोरेट वित्त (corporate finance) के अन्दर आता है।
दरअसल किसी कंपनी के Capital investment से संबंधित समस्याओं से परिचित होकर उसके समाधान का प्रयास करना भी कार्पोरेट वित्त ही कहलाता है। आज बहुत से विकासशील देशों का लक्ष्य विकसित राष्ट्र बनाना है। जैसे भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना चाहता है।
इसलिए कॉर्पोरेट सेक्टर (business finance) को लचीला बनाने के लिए भारत प्रभावी कदम उठा रहा है। आइये अब कॉरपोरेट फाइनेंस के इंपोर्टेंस को समझते हैं।
Flexible नियम है जरुरी
कॉरपोरेट फाइनेंस से संबंधित नियमों को लचीला कर देना चाहिए। दरअसल ऐसा करने से पूंजी के निर्माण और विकास में ज्यादा भूमिका निभाई जा सकती है। ऐसा करने से कंपनियों के Capital Problems के समाधान में भी आसानी होगी। जैसे IPO, SMALL CAP के संबंधित निवेश के बारे में लोग जागरूक होंगे तो पूंजी का सही इस्तेमाल समझ पाएंगे। इसलिए इसे तेजी से प्रोत्साहन करना चाहिए।
Mutual Fund और SIP क्यों जरुरी है?
Mutual Fund और SIP जैसे पूँजी निवेशों के बारे में भी लोगों को जागरूक करना चाहिए। ताकि लोग इसके लाभ और जोखिम को समझ कर के अपने पोर्टफोलियो को मज़बूत कर सके। Tax Planning को भी आसान कर देना चाहिए ताकि उद्योगों का विकास हो सके। सरकारी स्तर पर संचालित योजनाओं से लोगों को रूबरू करना चहिए ताकि वे इस निवेश का हिस्सा बन सके।
दरअसल ऐसा करके ख़र्चे और बचत को बेहतरीन किया जा सकता है। ऐसा करके देश के कार्यशील पूंजी के Source को भी बढ़ाया जा सकता है।
Financial Resources का Analysis भी है जरुरी
कॉरपोरेट फाइनेंस में Financial Resources का Analysis भी किया जाता है। Financial Resources का Analysis कॉरपोरेट फाइनेंस के लिए बहुत जरूरी है। ऐसा करने से शेयर के मूल्य का Value Addition हो जाता है। इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा निवेशको को भी आकर्षित किया जा सकता है। कॉरपोरेट फाइनेंस से जुड़े कुछ अवसरों का विकास करना जैसे पूंजी बजट, capital structure dividend को भी समझना चाहिए। यह professional merger या acquisition का Evaluation भी करता है ।
किस Purpose के लिए होता है कॉरपोरेट फाइनेंस?
कॉरपोरेट फाइनेंस (scope of finance) मुख्य रूप से चार चीजों के लिए की जाती है। पहला है फाइनेंशियल योजना बनाना। दुसरा जोकि बहुत क्लियर है, धन जुटाना। कॉरपोरेट फाइनेंस का तीसरा उद्देश्य है इन्वेस्टमेंट और चौथा है पूंजी की निगरानी।
क्यों जरूरी है कॉरपोरेट फाइनेंस की समझ?
यानी Financial risk को कम करने और Financial Profit को बढ़ाने के लिए कार्पोरेट फाइनेंस की समझ जरुरी है। ऐसा करने से शेयर मूल्यों को स्ट्रेटजी के साथ बढ़ाया जा सकता है।
Corporate Finance के प्रमुख क्षेत्रों में Capital investment का सबसे ज्यादा योगदान रहता है। जिसमें Investors के investment के अवसर का Analysis किया जाता है। जो Capital structure और इक्विटी Financing को Determined करता है। इसकी वजह से working capital का management बहुत अच्छे से हो जाता है।
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कंपनी के financial health का भी आंकलन हो जाता है | यानी ये कहा जा सकता हैं कि कॉर्पोरेट trade finance के लाभ को आगे बढाने के लिए कॉरपोरेट फाइनेंस की समझ जरूरी है।
कॉर्पोरेट वित्त कितने तरह के होते हैं?
Owner fund और Loan fund दो तरह के कॉर्पोरेट फाइनेंस होते हैं। इन सभी प्रकारों से कंपनी अपने लिए पूँजी जुटाती हैं।
जब कंपनी का मालिक पैसा कमाता हैं या कंपनी के इक्विटी में निवेश करता हैं तो उसे Owner fund या स्वामी निधि कहते हैं। और जब कंपनी किसी IPO या ऋण बॉन्ड के द्वारा अपने पैसे का विस्तार करती हैं तो उसे Loan fund या ऋण निधि कहा जाता है। कुछ लोग इसे बाहरी वित्त भी कहते हैं। इसके अंदर डिबेंचर, कॉर्पोरेट ऋण, व्यापार ऋण शामिल है|
भारत में कॉर्पोरेट वित्त की योजनाएँ
भारत में कॉर्पोरेट वित्त के क्षेत्र को आसान करने के लिये बजाज फाइनेंस ने भी योजना बनाया है। आजकल तो ऑनलाइन applications के माध्यम से लोन मिल जाता है। Start-up योजना के माध्यम से कई प्रकार का लोन भारत सरकार देती है। इसमें कई प्रकार के ऋण शामिल हैं जैसे असुरक्षित व्यवसाय ऋण, SME या एमएसएमई ।
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ये काफी फ्लैक्सिबल होते हैं। व्यापारी अपने सुविधा के अनुसार ऋण का भुगतान कर सकते हैं। कॉर्पोरेट वित्त को दो से अधिक गतिविधियाँ कंट्रोल करती हैं। कॉर्पोरेट वित्त से संसाधनों का अधिकतम आवंटन और उपभोग भी सुनिश्चित किया जाता है।
इक्विटी Financing और निवेश के तालमेल का महत्व
सबसे पहली चीज़ इक्विटी मैनेजमेंट में इक्विटी financing का अधिकतम मिश्रण निर्धारित करना चाहिए। ताकि शेयरधारकों के लाभ और हानि में संतुलन बना रहे । दूसरा capital expenditure का विश्लेषण कर के आर्थिक लाभ के उद्देश्य से बुनियादी ढांचे और Technology Investment को बढ़ाना चाहिए। हमेशा उन निवेश का मूल्यांकन करते रहना चाहिए। इस प्रकिया में जोखिम रिटर्न और संभावित तालमेल का गहन विश्लेषण भी ज़रूरी है। Benefit Policy से शेयरधारकों के लाभ के बंटवारे में आसानी होती हैं ।
कॉरपोरेट फाइनेंस काम कैसे करता है?
आइये अब कॉर्पोरेट वित्त कैसे काम करता है ये समझते हैं। कॉर्पोरेट वित्त में कई सारी चीजें आती हैं।
1) Financial Planning and Analysis
2)Capital Budgeting and Investment Analysis
3) capital structure optimization
4) Risk Management and Mitigation
5)Merger and Acquisition Analysis
6)Financial Reporting and Compliance
Corporate Finance का काम इन्हीं 6 जिम्मेदारी को निभाना है। इसके लिए analytical skills, रणनीतिक सोच और complex financial concepts को प्रभावी रूप से communicated करने आना चाहिए | corporate finance के मुख्यतः तीन क्षेत्रों का Execution जरूरी है। पहला Capital Budget दूसरा Capital Structure और आखिरी working capital management . अगर कोई आदमी इन तीनों चीजों को सिख लेता है तो उसे एक सफल सफल corporate personality बनने से कोई नहीं रोक सकता।
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