2 अक्टूबर को पूरी दुनिया गांधी जी को याद करती है। भारत में तो यह दिन राष्ट्रीय त्योहार के रुप में मनाया जाता है। इसलिए गांधी जयंती के मौके पर संक्षेप में जानिए गांधीजी के बारे में।

2 अक्टूबर

2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में पैदा हुए गांधी को ज्यादातर लोग महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं, पर महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

गांधी जी का जीवन

गांधीजी की शादी मात्र 13 साल की उम्र में कस्तूरबा नाम की लड़की से हो गई थी।

13 साल में हो गई थी शादी

इंग्लैंड से की पढ़ाई

गांधीजी ने अपने शुरुआती पढ़ाई राजकोट और पोरबंदर से की थी ।जब 19 साल के हुए तो कानून की पढ़ाई पढ़ने के लिए 1888 में इंग्लैंड चले गए। वहां यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन से वकालत की पढ़ाई पढ़ी।

शुरू किया सत्यग्रह

1893 में गांधीजी साउथ अफ्रीका पहुंचे। साउथ अफ्रीका के अंदर नस्लभेद बहुत ज्यादा था । लोगों में भेदभाव की भावना बहुत ज्यादा थी । इस भावना को बदलने के लिए उन्होंने खूब लड़ाई लड़ी। यही से उनके जीवन में सत्याग्रह की विचारधारा पैदा हुई।

1915 में भारत लौटे

दक्षिण अफ्रीका के अंदर महात्मा गांधी करीब 20 साल तक रहे। 1915 में महात्मा गांधी भारत वापस आ चुके थे। भारत आते ही वह आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए । वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बन गए।

भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत

1920 में ब्रिटिश शासन और उसके नियमों के खिलाफ गांधीजी ने असहयोग की नीति को अपनाया । 1930 में ब्रिटिश सरकार के नमक कानून का विरोध करने के लिए दांडी यात्रा निकाली। उन्होंने यह यात्रा पैदल शुरू की था।

देश पर गहरा प्रभाव पड़ा

इस यात्रा का पूरे देश पर गहरा प्रभाव पड़ा। फिर 1942 में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने अंग्रेजो को भारत से तुरंत हटने की मांग की और भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की।

अपनाया अहिंसा का मार्ग

गांधी जी ने सभी धर्मों के लोगों को बराबर सम्मान दिया। वो सर्व धर्म समभाव की भावना रखते थे। गांधीजी ने भारतीय लोगों को स्वदेशी कपड़ा पहने और आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया।

जीवन भर सत्य को अपनाया

गांधीजी का मानना था कि सच में बहुत ताकत होती है, इसीलिए उन्होंने कहा कि सत्य ही ईश्वर है। गांधी जी अहिंसा की भावना रहते थे वह कहते थे हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती।

महिलाओं को मजबूत किया

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए गांधीजी ने भारत की महिलाओं को प्रेरित किया।

सुभाष चंद्र बोस ने कहा था राष्ट्रपिता

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 4 जून 1944 को सिंगापुर में एक रेडियो पर मैसेज देते हुए महात्मा गांधी को देश का राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था।